दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के आगे कोई चेहरा नहीं : आतिशी
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल को मजबूत आधार देने वाली आतिशी को पार्टी ने इस बार कालकाजी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। ‘आप' की चुनाव घोषणा पत्र समिति की अध्यक्ष आतिशी से बृजेश सिंह की हुई बातचीत के प्रमुख अंश...
टिकट के लिए बधाई। चुनाव लड़ने का मन था या पार्टी के कहने पर लड़ रही हैं?
धन्यवाद, पार्टी ने तय किया है चुनाव लड़ने के लिए। दरअसल, ‘आप' एक स्टार्टअप की तरह है। यहां हम सब ने बीते पांच साल में बहुत से ऐसे काम किए हैं जिसका हमें कोई अनुभव नहीं था। संगठन ने अलग-अलग जिम्मेदारी दी थी, उसे पूरा करने की कोशिश की। नतीजे सबके सामने हैं। उसी तरह पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए कहा है तो लड़ रही हूं।
एक चुनाव आप पहले भी लड़ चुकी हैं। हालांकि, नतीजे आपके पक्ष में नहीं थे। क्या उसका अनुभव इस बार काम आएगा?
एक मजेदार बात है उसके नतीजे हमारे पक्ष में नहीं थे। मगर अच्छी बात यह थी कि लोगों के मन में हमारे लिए प्यार था। अरविंद केजरीवाल जो भी रैली कर रहे थे। लोगों का प्यार दिख रहा था। वोट डालते समय लोग प्रधानमंत्री देखना चाहते थे। उस समय मोदी जी के सामने कोई चेहरा नहीं था। उसी तरह इस बार अरविंद केजरीवाल के सामने भी कोई चेहरा नहीं है। वोटर बहुत समझदार होता है। इसलिए विधानसभा व लोकसभा चुनाव के मुद्दों को अच्छी तरह समझता है।
भाजपा से आप कितनी कड़ी टक्कर मानती हैं। कांग्रेस ने लोकसभा में वोट प्रतिशत बढ़ाया था?
भाजपा के साथ हमारी सीधी लड़ाई है। वास्तविकता देखी जाए तो भाजपा के पास न तो चेहरा है न ही कोई मुद्दा। वह एक मुद्दा लेकर आते हैं फिर अगले दिन वह टिक नहीं पाता। कांग्रेस है ही कहां।
आप घोषणा पत्र समिति की अध्यक्ष हैं। अब अगले पांच साल में ‘आप' के एजेंडे में सबसे ऊपर क्या है?
दिल्ली की 60 फीसदी से अधिक आबादी कच्ची कॉलोनी में रहती है। हमनें बीते पांच साल में वहां पानी, सड़क, लाइट जैसी बुनियादी जरूरत पर काम किया। अभी सड़कों, सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने सहित कई मुद्दों पर काम करना है।
काम पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को अपने विधायकों का टिकट क्यों काटना पड़ा?
सच यह है कि काम बहुत हुआ है। मगर, काम दो तरह के होते हैं। पहला सरकार की नीतियों की वजह से काम होते हैं। दूसरा विधायक के पास लोग काम लेकर आते हैं। एक जनप्रतिनिधि का काम होता है कि वह जनता के बीच रहे। उसकी समस्याओं को सुने। उसे अपने स्तर पर दूर करे। हमने इसे लेकर सर्वे करवाया तो पता चला कि कई विधायक अपने इलाके में नहीं रहते थे। जनता उनसे नाराज थी। पब्लिक की राय की वजह से उनका टिकट काटा गया।